रविवार, 5 सितंबर 2021

गुगल गुरु ज्ञान का भंडार

 शिक्षक दिवस की सभी को शुभकामनाऐं।

आज शिक्षक दिवस है।

अवसर है हमें शिक्षा देने वाले,

कदम कदम पर

हमें सही राह दिखाने वाले।ज्ञान के सागर।

जैसी विशेषता रखने वाले को धन्यवाद देने का।

मुझे आज की बदली हुई   परिस्थितियों में गुगल से अच्छा गुरु कोइ नहीं दिखता।इसलिए मै गुरु गुगल का अभिनंदन करती हूं।

निवेदन है उनके सम्मान में कुछ पंक्तियां;

कृपया काव्य रचना विवेचना में वक्त जाया न करें, हृदय के भाव को समझें।

गुगल  गुरु दोनो खड़े,काको लागूं पाऊं।बलिहारी गुगल आपकी,जिन गुरु का पता दियो बताय।(गुगल मैप)

क्योंकी गुगल सब  कुछ जानता है।अगर हम अपने राह से भटक जाऐं तो यही गुगल

अपने मैप के सहारे हमें सही रास्ता बताता है।


गुरु गुगल,गुरु ऐप्पल,गुरु याहु,नमो नम:‌।।

सेटेलाईट है साक्षात परमसत्य,

मोबाईलं नमो नम:। 


जहां हाथ हाथ में मोबाइल हो,

 पेट मे न हो दाना ,वो भारत देश है मेरा।

लेकिन दाना नहीं होने पर होटल की राह यही दिखलाता है। यही नहीं,डॉक्टर, दुकान,मकान सभी की राह बताता है।


जय गुगल, ज्ञान गुण सागर,जय मोबाइल तिहु लोक उजागर।

इसी के साथ रहने से हमे तीनों लोक (जल थल वायु) के बारे में पता चलता रहता है।

कहां नाव डूबी,कहां बाढ़,कहां सूखा,(जल)

कहां सड़क दुर्धटना हुई।दंगे फसाद,सड़क जाम(थल)।


हवाई दुर्धटना,आंधी,पानी,

तूफान(वायु)।

इस गुरु की सबसे बडी़ खासियत,जब ,जहां, जैसे आपको शिक्षा दे सकता है।

आपकी जेब में पड़ा रहता है

○तो  अंत में इन महान गुरु को शत् शत् प्रणाम।

गुरुवार, 2 सितंबर 2021

कन्हैया बनथिन एन आर आइ

 हे कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेव । ।  जय श्री कृष्ण राधे राधे ।

पाठक गण सं क्षमा याचना अछि, हमर लेखनी क ट्रैक थोड़े गड़बड़ा गेल अछि।

जन्माष्टमीक दिन छल,संपूर्ण देश कृष्णमय भ गेल छल।मुदा

श्री कृष्ण कन्हैयाक मोन बड़ उदास छलैन,सदिखन ठोर पर रहय वला मुस्कान आइ आलोपित छल । तखने कत्तहु सं उद्धव(उधो)जी क आगमन भेलनि,ओ त सखा क भंगिमे सं बुझि गेलखिन आई बंसरी ठोर पर नहि डांढ़ में खोसने छथि। व्यग्र भ पुछलखिन, मित्र  की   बात? कन्हईया  अपन  मोनक  बात कहय लगला,   मित्र हमरा    होइयै लोग हमरा कम क बुझईत अछि।हमरा अपनो इग्नोरेंस बुझाइयै।  ऊधो जी चट द कहलखिन से कोना ?  देखू त आहां    के प्रसन्न करय लै कियो व्रत केने अछि, कियो भजन गबैया,बाल्य कालक झलकी कतेक नीक लागि रहल अछि।

मुदा कृष्ण जीक मूड खराबे रहलनि कहलखिन

ई सब छलावा छैक,मोन त होइयै ,हम कियैक ने विदेश जा क । इस्कॉन मंदिर में शिफ्ट भ जाई।एनआरआइ   बनि जाई।

देखल जाइ त हम  दूनू अवतारी भेलहुं।हमर जन्मस्थानक दशा, देखिते छी,सांकर सन गली,वैह ओल्ड फैशन के निवा‌स, हमरो ओरिजनल  घर त नहिए अछि।

ओम्हर ब्रदर रामचंद्र जीक ठाठ देखिते छी ,आलीशान जन्मस्थल,चकाचक सड़क। अतबे टा नहि,

ई साहित्यकारो सब, हमर  नाम खूब डुबौलनि    अपन मोनक रोमांटिक भाव हमरा नामे निकालैत छथि।अपने इच्छे,राधा नामक नायिकाक कल्पना कैलनि आ तेहन तेहन  वर्णन करईत जाइ गेला कि की कहु,राधा अन्हरिया राति में एकसर हमरा सं भ़ेंट करय अबैत छलिह,हम पोखरिक भीर पर पर गाछ पर चढ़ि नुका क छौडी़ सबके नहाइत देखइत छलहूं,आ और त और ओकरा सबहक नूओ चोरा लैत छलियै।ओ शिट्,जस्ट डिसगस्टिंग !

स्वभाविक छैक हमर इमप्रेशन बिगड़ल।

संतान नीक भेल त रामचंद्र  सन बेटा,आ कनियो जे एम्हर ओम्हर केलक त कहाइत छैक हुनकर बेटा एखने सं कृष्ण कन्हैया सन रास रसैया करैत छैक।

महाभारतक  युद्धक समय जेहन अनमोल ज्ञान देल्हूं,तकर चर्चा सिर्फ सभा समारोहे में  होइत अछि।  इन शॉर्ट ,लोग सब की बुझलक त  जौं कोनो उपाय नहि हुए त नि:संकोच अपनो भै भातिज के प्राण लिअ।  हमर ग्रंथ गीता पर हाथ रखने सद्य: फूइस  बाजईत देखि हमर खून खौलैत अछि।ओम्हर विदेश में हमर बहुतो अनुयायी सब अछि ,ओ सब विशुद्ध भक्ति भाव सं हमर कीर्तन करैत अछि,हमरा वास्ते आलीशान भवन बनेने अछि।जौं सरकारी रवैया एहने रहतहि,त भ सकैत अछि हमहु,NRI बनि जायब।

अंत में

हम प्रभु सं क्षमा क विनती करैत छियनि,संपूर्ण सृष्टी में हिनकर वास छनि,हिनके सहमति सं कोनो कार्य होइत छैक, तखन भ सकैत अछि अहि धृष्टता में प्रभुक कोनो माया होनि।धन्यवाद।

हेकृष्ण गोविंद हरे मुरारे,हे नाथ नारायण वासु देव।

शनिवार, 5 सितंबर 2020

हाउस कीपर, टीचर ,नमन है है

 आज शिक्षक दिवस के मौके पर मैं दुनिया के तमाम शिक्षकों का अभिनंदन करती हूं ,और उन्हें शुभकामनाएं देती  हूं जिस सम्मान के वे हकदार हैं समाज  उन्हें वही गरिमा प्रदान करे ।आज का पूरा दिन हमनें शिक्षकों को समर्पित किया ,

लेकिन मुझे समाज से शिकायत है । आज सब  शिक्षकों का सम्मान कर रहे  हैं ।उन्हें बधाइयां दे रहे हैं, क्योंकि वे विधिवत शिक्षक है यानी किसी स्कूल या कॉलेज में पढ़ाते हैं ।लेकिन ऐसी शिक्षिकाऐं जो कहीं  नामांकित तो नहीं है लेकिन पर्दे के पीछे से अनंत काल से शिक्षा देने का काम करती आई हैं  ,उसे किसी ने बधाई नहीं दी उसके काम के महत्व को नहीं समझा।  नहीं समझे ? वही मास्टर की पत्नी मास्टरनी बोलते हैं । मास्टर की पत्नी भले ही अंगूठा छाप हो धड़ल्ले से मास्टरनी बना दी जाती है। बुलाते हो तो बधाई देने में दोहरा व्यवहार क्यों?  शिक्षक जब छात्रों को पढ़ा कर घर लौटता है घर में उसे पढा़ने मास्टरनी मौजूद रहती है‌ । स्कूल में  सख्त  माना जाने वाला मास्टर घर में पत्नी के सामने शिष्यवत बैठा रहता है। पत्नी उसे बाजार में ठगी से बचने के तमाम तरीके सिखाती है।  सावधान करती है ।मास्टरनी से  शिक्षा प्राप्त कर शिक्षक झोला लेकर बाजार को निकल जाता है।   

यही हाल प्रोफेसर साहब का है ।क्लास में छात्रों को लेक्चर दे देकर जब घर लौटते हैं तो  खराब तरकारी लाने के लिए प्रोफेसराईन एक लंबा सा लेक्चर सुनाती है और प्रोफेसर साहब  सर झुका कर सुन  रहे होते हैं , मानो सब्जियां उन्होंने ही उगाई  हैं। या ठेलेवाला उनका कोई सगा है। ् इसलिए इस मौके पर मैं   मास्टरनी और प्रोफेसराईन को  बधाई देती हूं और शुभकामनाएं देती हूं उनका वर्चस्व बना रहे ।घर की बात बाहर कतई न निकले ,जिस गरिमा  से अपने पति का साथ देती हैं वही गरिमा बनी रहे ।

शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2020

मैथिल वैलेनटाईन डे।(प्रेमक पाबनि)

आई भोरे भोर मिसराईन  मिसर जी के कहलखिन,  हेयौ  सुनई छी,आई हम्मर सबहक पाबनि अछि। मिसर ज़ी अकचका क पुछलखिन ,से की?  मिसराईन व्याख्या केलखिन , आई वेलेटाइन डे छैक ।आई संपूर्ण दुनिया प्रेमक पाबनि मना रहल अछि। अहि पाबनिक मंत्र अछि  'आई लाभ यू 'आ बिध बिधान भेल ,रंग बिरंगक गिफ्ट, घुमेनाई,फिरनाई आ पूर्णाहुति होटल गेला पर होई छैक।
मिसराईन उपराग  दईत बजलखिन यौ आहां त  कहियो हमरा 'आई लभ यू नहि कहलियै।
मिसर ज़ी क माथा घूमि गेलनि, मोने मोन सोचलनि जौं अहि फेर में पड़ब त बड़का चक्कर में फंसनाई निश्चित ।
कहलखिन हे यै ,अपना सबहक ई सब मनेबाक उमरि आब नहि अछि, जाक ऐना में अपन मुंह देखू आ हमर विशाल धोधि।  अरे ई  सब त अंगरेजबा सबहक करस्तानी छैक  अपन दोकानदारी चलेबाक चलाकी  ।नबका छौड़ा  छौड़ी बताह भेल रहैत  अछि।  सबटा बात मुहे सं कहल ताकि?
किछु बातक अनुभवक सेहो  कैल जाई छैक। कहैत मिसर जी  बजार दिस विदा  भेला,  मिसराईन मूल लटकौने भानस भातक ओरियान में लागि गेली।
थोड़बे काल में मिसर जी अपन कनियाँ के शोर पाड़लखिन कहलखिन हे यै एम्हर आऊ ने ,देखू केहन टटका माछ अनलहूं अछि,।
आंहा  हाथक माछ खेला बहुत दिन भय गेल छल।फटा फट रांन्हि लिअ,
 दूनूगोटे संंगे खैब ।
माछ प्रेमी मिसराईन माछ रंधवाक ओरियान  में मगन भ गेली।मिसर मिसराईन क (प्रेमक पाबनि मानि रहल अछि।)
 यैह  अछि अपना सबहक वैलेनटाईन डे।

सोमवार, 18 नवंबर 2019

बरुआ मांगे बाईक

बरुआ मांगे बाईक

उपनैन खूब धूम धाम सं मनाबी,एहन सपना  लोग देखईत अछि, सेहो लोक जे गाम में रहैत त नहि छथि मुदा जे एखनो अपन जन्मस्थान सं जुड़ल   छथि आ ईच्छा छनि जे हुनकर बालो बच्चा गाम सं जुड़ल रहनि।मुदा आई काल्हिक बच्चा ने जनऊअक  महत्व नहि बुझई छैक आ ने टीकक आवश्यकता ।माथ पर  टीक,आ कान पर जनेऊ लपेट क लधुशंका केनाई , ई आबक समय में  बहुत कम देखाईत अछि, विशेष क युवा जन मे ,हुनका    लाज होई छनि। अपन संस्कृति क प्रति हीन भावना ,ई मिथिलाक लेल दुर्भाग्यपूर्ण छैक।ओ सब अतेक ताम झामक कोनो प्रयोजन नहि बुझई छथि। तैं ओ कहैत अछि,
इससे अच्छा मुझे एक बाईक दिलवा देते।
बच्चा के ई कहनाई  हमरे सबके ऐना देखेनाई अछि। शहरी एकल परिवार के बच्चा,जकर दुनिया माय बाप,भाय बहिन तक  सीमित भेल जा रहल  अछि, ओ सब कखनो काल हफ्ता दस दिनक लेल गाम गेले सं की   ओ  बाबा बाबी,च्चा चाची के गेस्ट बुझईत अछि।ऐना में ओकरा अपन गाम, परिवार सं लगाव कियैक हेतई ?
एखुनका समय संक्रमणकाल अछि |तेजी स बदलैत विचार धारा ,रहन –सहन ,खान –पीन,स्थान- परिवेष |लोग दुविधा में पड़ल अछि |करी त की करी ?एकदम्मे आधुनिक बनल जाय ,या सनातन व्यवस्था के पकड़ने रहि ?अप्पन परम्परा के छोड़नाई उचित नहि छैक मुदा ओहि मे जौं किछु संशोधन केला सं जौं एकर मूल स्वरूप अथवा उद्देश्य मे कनेको अंतर नहि बुझाइत होइ त किछु फेर बदल हेबाक चाहि, विशेषतः समयाभाव क कारण।ओना त,बंसकट्टी सं, शुरुआत एक  मासपहिने कैल जाइ छई,मुदा अगर सबटा विध व्यवहार एक सप्ताह तक समटा जाई त,नोकरीहारा लोग के सुविधा होयतैक। मैथिल ब्राह्मण सब अपन गाम छोड़ि बाबाधाम या हरिद्वार में उपनैन करय लागल छथि। कारण समयाभाव त छहिए दोसर दिनों-दिन  यज्ञोपवीत संस्कार,आब अपन वैभव प्रदर्शन -आयोजन भेल जा रहल अछि।एखन परिस्थिति ई भेल जा रहल अछि जे सामर्थ्य नहियो रहला पर देखा देखी में आदमी खर्चक चक्की में पिसा जाईयै। तैं ओ एहन परिस्थिति सं बचबा क लेल बाबाधाम क शरण में जाय लेल मजबूर अछि।
कोनो संस्कृति, भाषा, व्यवस्था,तखने दीर्धकालीन होईत छई जखन ओ  समयाकूल परिवर्तन के स्वीकार करैत अछि। अपन गाम क आयोजन सन शोभा-सुंदर,आनठाम कतय?

जीवन संध्या क धुरंधर

 यौ,जीवन संध्या क धुरंधर जन,
की  करैत छी ?
समाज बिगड़ल जा रहल अछि ।कोनो समाजक मूल तत्व, समाज सं समाजिकता समाप्त भेल जा रहल अछि। लोग समाज में रहितो एकाकी अछि।ककरो सं  कोनो मतलब नहि । पाबनि तिहारो  में लोग घरे में रहैत अछि ।सब अपन  अपऩ खोल में बंद रहैत अछि।   ,किनको धन क अहंकार, बल क अहंकार, ज्ञान क अहंकार। मुदा जीवन में धन -धान्य के अलावा बहुत किछु छईक।  अपन मोनक द्वार खोलू , आगां होउ, अप्पन खोल सं बहराऊ ने पहिने लोग समाजिक छल ,कारण मरला क बाद चारि गोट कनहा देनहार क उम्मीद करैत छल।मुदा 'मार बाढ़ैन ई अपार्टमेंट, संस्कृति आ एकल परिवार  प्रथा  के' ।आब त पड़ोसी क घर में किछु घटना घटैत छैक‌, ऐम्बुलेंस आबि क डेड बौडी ल क  मॉर्गन में , डाहि दई छई, कियो बुझलक कियो नई बुझलक।

सुधि जन कनेक विचार करई जाउ।
हम समाज स की चाहैत छी?
हमरा  समाज सं की भेटल?
हमरा समाज सं की दिक्कत अछि? अंत में,
 हम समाज के की देलियई ?,‌‌‌‌
 ओना ,हम सड़क के कात में नहि ,जंगल में नहि ,समाजक बीच रहय चाहैत छी। कारण समाज में हम सुरक्षित रहैत छी।समाजक लोग सुख दुःख में संग रहता से उम्मीद करैत छी। समाज, लोग के अनुशासित करैत अछि ,आहां अनर्गल किछु नहि क सकैत छी‌,कियो रोकनहार ,टोकनहार भेटिए जायत ।
जौं कोनो समस्या होईत छल ,पहिने व्यस्तता छल ,आब आहां फुरसत में छी,त समस्या क निदान करू ने ,
आगां धिया पुता के वैह परेशानी नहि होईनि।
महानुभाव आहां स़बगोटा अपन अपन क्षेत्र के धुरंधर रहल छी। अहीं सं  ऐहन उम्मीद कियै, कोनो युवा सं कियैक ने ?कारण आजुक युवा अपन जीविकोपार्जन मे हरान अछि।ने ओ समय पर खाई यै ने सुतैया,ओकरा सं कोनो अतिरिक्त काजक उम्मीद नहिए करी।आहां लोकनि कोनो युवा सं अधिक उर्जावान छी, रिटायरमेंट के बाद फुर्सत में छी।'ई लुत्ती लगौना मोबाइल ,ने अपने चैन सं रहत न ककरो रहय देत । त्यागू अहि जहरबंद  के ,अपन उर्जा, ज्ञान, अनुभव के सार्थक दिशा देलजाउ। समाज सदैव आहां के ऋणी रहत।

बुधवार, 6 दिसंबर 2017

विश्विद्यालय में व्याप्त अनाचार|

भागलपुर शिक्षा के लिए जाना जाता था | इसका प्रमाण विक्रमशिला के खंडहरों  को देख कर समझा  जा सकता है |लेकिन इधर कुछ सालों  से विश्व विद्यालय इस कदर शिक्षा माफिया के चंगुल में  फंस गया है की  शिक्षा से सम्बन्धित जितने भी कुकर्म होते हैं सारे किये जा रहे हैं |
भागलपुर का मारवाड़ी कॉलेज कइ  मायने में अभी भी अपनी प्रतिष्ठा को बनाए रखने में सफल रहा है |
लेकिन इधर कई सालों से जो डर्टी पोलटिक्स कॉलेज में देखा जा रहा है वह  निंदनीय है| एक तरफ कोलेज की प्रतिष्ठा धूमिल हो रही  है दूसरी तरफ कोलेज के प्रभारी प्राचार्य को जिस तरीके से अनर्गल आरोप लगा कर ,जाँच कमिटी बना कर उन्हें कार्य मुक्त करवाने की गंदी चाल  चली गयी है वह  काफी अपमानजनक है | उनकी छवि एक अच्छे शिक्षक के रूप में रही है| प्रभारी प्राचार्य की जिम्मेदारी v ईमानदारी से निभा रहे थे ,इसे में उन पर वित्तीय अनियमितता एवं दुर्व्यवहार का झूठा आरोप लगा कर पद से हटाना मानसिक प्रताड़ना है |सुबह अख़बार में देख कर आश्चर्य हुआ |जिन्दगी भर कमाई प्रतिष्ठा गवां बैठे \| यश पाने में वर्षों लगते है अपयश जंगल की आग समान फैलने में देर नही  लगती जब जाँच कमिटी अपनी रिपोर्ट देगी जब देगी तब देगी ,तब तक वो किस किस को अपने इमानदार होने का प्रमाण देते फिरेंगे |आपोप इतने गम्भीर भी नहि हैं श्रीमान कुलपति इसे अपने स्तर पर निपटा सकते थे |रिटायरमेंट  से पहले उनके कैरियर पर एक दाग  लग गया |