गुरुवार, 6 सितंबर 2012

gam chalu

बहुत दिन बाद गाम गेल छलहूँ , बस पर सं उतरिते एक टा रिक्शावाला लग में आबी क अप्पन रिक्शा ठाड़ क देलक आ हिनका पुछ्ल्क्नी ,मालिक ,अहि बेर त बहुत दिन बाद एलियाई ?अपने हँसैत बजल खिन हं रौ बेसिए व्यस्त भय गेल छलहूँ आब ओकरा पुछ्ल्खिन तोहर की हाल-चाल ?कह लागल ,हुजुर ,ठिक्के हाल हई,एक्को गो बाल-बच्चा लग में नहि हई बेटी त ससुरे बसई हई ,आ तीनू बेटा दिल्ली कमाई हई तखन ,कहलखिन बाज कतेक पैसा किराया लेबही ओ कहलकनी , बेसी नईलेब हुजुर ,खाली पचीसे टा द देब .हम सब रिक्शा पर बईस गेलहूँ .तखन अपने कहलखिन ,अहि बेर त तोहर किराया दुन्ना बुझाइए ,ओ बाजल,ई सं कम में नहि पोसाए हई . अंगना ,पहुंचला के बाद हम भगवती के गोड़ लागे लेल गेलहुं आ अपने माय के प्रणाम केला के बाद कहलखिन ,-जौं,दू कौर भात छौक त अहि रिक्सावाला के परसि दहीं हम शहर आ गामक अंतर करय लगलहुं.आई जाही शहर में हम पचीस -तीसबरख सं रहिरहल छि शायदे कोनो रिक्शावाला या एहने कोनो अन्य आहां के व्यक्तिगत रूप सं चिन्हैत हैत. छोट शहर में त तैयो ठीक छैक पैघ शहर में त आहां सिर्फ नंबर सं जानल जाई छि ,लोकक भीढ़ में सिर्फ एक चेहरा बस .अपन जिंदगी भरि के कमाई सं जौं आहां एक टा विशाल मकान बनैयो लैत छि त ताहि सं की ,नगर निगम द्वारा आहां के एक टा नया नंबर द देल जाईया, दू चारी टा अड़ोसी- पडोसी किछु मित्र परिचित ,परिजन के बुझेतई ,यएह की नई? आब आहां सोचु की अगर अपन गाम पर जौं आहां ओहने मकान बनबैत छि त लागत त कम लगबे करत ,ओही पूरा इलाका में आहां अपन मकान सं चिन्हल जायब अपना गाम घर दिश अखनो लोग सुन्दर पैघ मकान कम्मे बनबैत छैक -मिथिलाक गाम जन शुन्य भेल जा रहल अछि ,प्रायः इ देखल जा रहल छैक जे ,जौं एक बेर गाम छोड़ी क बहरा गेला से फेर घुरि क गाम बसै लेल नहि अबैत छैत. हम समस्त मैथिल जन सं आग्रह करैत छियैन ,जे ओ सब फेर घुरि क अप्पन गाम आबिथआ ओत्तही बसिथ .अप्पन मिथिलांचल में आहां के स्वागत अछि .....

gam gharak log

ओना त हमर सासु गामे में रहैत छथिन. कहियो कल तीर्थ -वर्त के क्रम में दस -पंद्रह दिनक लेल अबैत छथिन .मुदा किछुए दिन बाद हुनका गाम जाए लेल छटपटाबय लागैत छनि. किएक त हुनकर गामक असार-पसार ,अचार -अदौड़ीक ,काज मोन पड़ लागैत छनि . कहितो छथिन . कनिया ये ,हमरा सबके अपने ठाम पर अधिक मोन लागैत अछि. ओहि ठाम हम भरि दिन व्यस्त रहैत छी . सही बात छैक ,ओतय मंदिर-पोखरि,पूजा -पाठ ,फूल लोढनाइ ........इत्यादि छोटकी कनिया भानस नहिओ करय दैत छथिन तैयो किछु ओरियन पाती ,सागे बिछ नाइ ,सजमनि बनेनाइ ,यैह करैत छथिन .दिन कोन बाते बीत जीत छैक ,नहि बुझाइत छैक अहि ठाम आहां के छोट गृहस्थी ,गैस परका भानस .ओ ने हमरा कहिओ ओरियैत आ ने आहां सब हमरा किछु करय देब .तखन ल द क टी .भी . से कत्ते देखू ?गप्पे कत्ते करू ? तैं , हमरा अपन ठाम पर रहय दैत जाऊ . परुका होली में जे गाम गेल छलियैक त छोटकी कनिया बाजलखिन ,माय के कहिओ काल घुरमा लगी जैत छनि .कतबो मना करैत छियनि ओ भोरे अन्हारे फूल लोधय लै चलिए जैत छथिन .हम सब अंदाज केलियैक जे हुनका सुगर बढ़ी गेल हेतनि अथवा ब्लड -प्रेशर के शिकायत भ गेल छनि . जे हुए हुनका एखन डेरा पर ल अन्लियनी ,आब देखा चाही ओ कतेक दिन टिकैत छथि .

मंगलवार, 21 अगस्त 2012

maugiyahi khissa.

वामा -विचार ,अर्थात  मौगियाही गप्प ! पुरुख सब दलान पर मौगियाही गप्प कहि  क बहुत बात  के भले ही मजाक में उड़ा देथि  लेकिन मौगियाही गप्प होइत छैक बड़ रसगर !

                       अहि बेर जे छईठ में गाम  गेल छलहूँ  त  सासु हमरा आन बेर सं अधिक अमोट देलखिन .आन बेर एक्कही धडिका  भेटैत  छल ,अहि बेर त दू  टा भेटल ! पुछलियनी ...माय यै ,अहि बेर आमो त तेहन कोनो नहिये फरल छलनि ,तखन हमरा अतेक रास अमोट कोना दईत छथिन ? ओ  कहलखिन  आहां चुपचाप राखि    
लिय  ने आहां  के धिया -पुता  के अमोट  बड़  नीक लगैत  छैक   से हमरा  बुझल  अछि . ओ  सब  खूब  प्रेम सं खायत . ई  लोक  सब आब  बड़का  लोक  भय  जाई गेल  अछि , एहन  सब चीज  ई सब नहि  खाई जैत .
                                            अपने चारि भाय  छथिन .  तीन भाय शहर में नौकरिहारा छी  .एक गोटा गामही
में रहि  क  खेती -बाड़ी  क  काज सम्हारैत छथिन . सासु  अधिकतर गामे में  रहैत  छथिन  कनिया  सं  बेसी  काल  हुनकर  टोना -मेनी  होइते  रहैत  छानि .
                                                  हम  एकांत  में जा  क  कनिया  सं  पुछलियनी .  ऐं  यै   अहि  बेर  एतेक  अमोटक  सौगात  हमरे  कियैक ? आहां  सब  लै  किछु  बांचल  की नहि ?   सुनतहि  त  जेना  हुनका  लेस  देलकनी   ओ  मुह  चमका  क  बजली , धुर  जाउथ , एहन  अमोट  के  खाइया   सड्लाहा  आम  के  कारी 
खोर्नाट  अम्मट  ,ओहि  पर  भरि  दिन माछी  भिनकैत  रहैत छैक  .से अलग .    हमर  त  कोनो  बच्चा  ओहन  
अमोट  के छूबो  नहि  करतनि  .कहीं  ओकरा  खेला  सं  मोने  ने  खराब  भय  जाई .....आ   कि  दन्न  सं  हमर सासु   सामना  में आबि  क  गरजय  लग्ल्खिन  अएँ  यै  रामपुर वाली  ,आहां  सत्ते  कहू  त  आम  सड़ल  छल? 
तखन  ओहि  दिन  आहां  मन्ग्ल्हू  कियैक ?    बुझ्लियेइ  बडकी  कनिया  ,कोन  नतीजा  सं  ई  अमोट  हम बनौलहूँ  से  हमही  बुझैत  छी  ,सबटा  आम  के  धोनाई ,कुटनाई  ,गारा बनेनाई , छन्नाई  त  एकसर  हाथे  करबे  करैत  छी , लेकिन  एक  दिन  अचानक  में जे  पानि -बिहाड़ी  आबि  गलैक   त  हम  शोर  पाड़ैत -पाड़ैत  रहि  गेलहुँ   लेकिन  टी .भी .वाला घर  सं  ने  ई  बहरेली  आ  ने  हिनकर  कोनो  संतान  .  हम    कोना  ओहन  भारी  खटिया  के  घिसिया  क  ऊपर  अनलहूँ  से  हमही  बूझैत  छियैक  .एखन धरि  हमर  डांध 
दुखैत  अछि .   तखन जे  हमरा सं  अमोट मंगती  त  हम  बजबो  नहि  करू ?   ठीके  त  कहलियैक    जखन  सुलवाई  होई  छौक  त  बौआ  हमरे  अमोट  काज दैत  छौक  ,आ  फलाहार  काल में  की  कोनो  फौल  भेट्बो 
करैत छौक  तखन  त  यैह अमोट फुला -फुला  क  खाई छहक  .ई सब  सुनबा  में  दाईजनि  के  बड  खराब  लगैत  छनि  ....../कनिया  ,आहां  ई  अमोट  निश्चिंत  भ  क  लय  जाऊ .     तखन  ओ  सप्पथ  खा  क  कहलखिन  जे  ई अमोट  ओ  मच्हड़ दानी  सं  झंपि  क  सुखेने  छतिन .