शुक्रवार, 1 मार्च 2013

दाई रुसल छथि !

दाई रुसल छथि ! कियै रुसल छथि ?लोक कियै रुसै छैक ?कियो मनाबए तैं ने ? आई दस दिन सं ऒ रुसल छथि ,कियो ने हुनकर मनेन्हार ! असल में अहि बेर फेर हुनका बूते मोबाईल हेरा गेलनि . एक बरख पहिने सेहो हुनकर मोबाईल दिल्ली में चोरी भ गेल छलनि ,लेकिन ओहि बेर लोक हिनका कोनो दोष नहीं द क दिल्लिये वासी के गरियेलखिन .लोक सब हिनके दिलासा देल्क्नि जे जाय दियौ ,पुरने मोबाईल छलै . मुदा अहि बेर त मामला दोसर छल ,मोबाईल मंहग ,आ नब छल ! कखन हेरेलनि ओ बुझबो नहीं केलखिन जे तकलो जैतै .हिनका बड़ बात सुनय पडलनी .कहल गेलनि ,अहाँ के लापरवाही के कारण ओ वस्तु हरायल .इत्यादि .दाई अपन सफाई में कहबो केलखिन जे ,ई नहीं बुझु जे हमरा अफ़सोस नहि अछि ,मुदा कोन बाटे ओ ससरि गेलै से ठिक्के हम नहि बुझि सकलियैक . जखन लोक हिनकर कोनो बात के मोजर नहि देलकनी त ओ तमसा क कहलखिन जे आब हम अपना लग मोबाईल रखबे नहीं करब ! उम्मीद छलनि जे ,बाद में लोक सब देब्बे करत कियैक त हुनका लग मोबाईल नहीं रहने अपने दिक्कत हेतनि .मुदा ओ निराश chhathi.