गुरुवार, 18 सितंबर 2014

सार्थक जितिया


जितियाक पारण क दिन छल,पूजा-पाठ,नैवेद्य लगा क उठले छलहुं ,मोन उदास छल ,आई कतेको बरख स एही पाबनि दिन कोनों बच्चा लग में नहि रहैत अछि   .मोन  बड क्ल्पइत अछि मुदा उपाय की ? मार बाढ़इन, अहि नोकरी के, नेना सब पबनियो तिहर में नहि अबैत अछि .तखने सूरज धड़फड़ाइत पहुँचल,पुछलक ,
मलकाइन आहाँ के पूजा भ गेल? पूड़ी छ्नबाक लै कडाही चढाऊ की ? सूरज तेरह –चौदह बरखक बालक ,ओ घरक काज में हमर सहायताक लेल रहैत अछि .ओकर बाप रिक्शा चालक छैक .हमर डेराक लगे में ओ सब रहैत छल तेँ प्रायह ओकरे रिक्सा सं बजार जाईत छलहुं .एक दिन अनायासे पुछि देलियै हौ, रिक्शावला कोनों छोट लड़का तोरा ध्यान में छौ जे घरक काज में हमर हाथ बटाबै,और हौं ओकर पढाई लिखाई के जिम्मा हम्मर .हमर मोन बेसी काल खराबे रहैत अछि,कनी तकियह्क. एकर दुइये –चारि दिनक बाद यैह सूरज के संग नेने एकर बाप रिक्शावला पहुँचल .ई बालक इस्कुल्क ड्रेस पहिरने छल .देखिते हम बजलीयई
ई त इस्कूल जायवला बच्चा छैक ,हम एकर भविष्य नहि खराब करबैक अओर कोनों निर्धन हो ,जकरा पढ़बाक क सुविधा नहि हुए तकरा अनितहक ने .तखन ओ कहलक जे ई ,बड्ड बदमाश छैक हम त रिक्शा ल क कमाबय लै चलि जाईत छी पाछू काल ई इस्कूल सं भागि जाईत आछि,अपन माय के कोनों मोजर नहि दईत छैक ,जों आहाँ एकरा अपना लग राखि लेबई त एक्कर जीवन बनि जेतईक .अस्तु! ताहि दिन सं सूरज हमरा सबहक सेवा में लागल अछि .संतानक हर कर्तव्य के पूरा करैत .कखनो काल त ताहू सं बेसी .हमर आँखि डबडबा गेल .हम नैवेद्य्क सराई ओकरा हाथ क दऐ देलियै आ कहलियै पहिने ई प्रसाद खा लै तखन पूड़ी छ्नीयहक .बालक प्रसन्न मोन सं प्रसाद खाय लै चलि गेल .
.