शुक्रवार, 22 नवंबर 2013

बदलइत जीवनशैली

 प्रचंड गरमिक समय ,बच्चा सब गर्मी छुट्टी बितयबाक लेल आयल अछि. ओना  ,अनदीना त हमही दुनु गोटे रहैत छि .हमरा सबहक नियमित दिनचर्या ,संयमित भोजन आ बहुत संछिप्त दायरा रखने छी.जखन सं बच्चा सब पढ़ लिखय लेल बाहर रहय लागल ,हम सब जेना वीतरागी भय गेल छि. ने खेबाक विन्यास ,ने कत्तहु जेबाक उत्साह.पाबनियो तिहार मनेबा क उमंग नहि होइत अछि.शुरू शुरू में मारे चीज वस्तु सब बना बना क पठबैत छलिये .बाद में ओ सब मना करय लागल. आब ओ सब उम्हरके जीवनक अभ्यस्त भय गेल अछि घरक बनायल चीजक आकर्षण आब ओतेक नहि होइत छैक.ई बात हमरा तखन बुझैल जखन तीन चारि दिन रहला के बादे कहलक
जे, मम्मी हमलोग रोज रोज एक ही तरह का खाना खाते खाते बोर हो गए हैं .आज क्यों न कुछ नया बनाया जाए? ताहि पर हम कहलिये ,बौआ रे ,हमरा  ओ  रंग बिरंगक बिदेसी चीज बनब त नहि अबैत अछि ,ऐना करय, बाहरे कत्तहु कियैक ने खा लैत छहक ?ओ कहलक ,तुम चिंता क्यों करती हो मम्मी ,आज नास्ता हम बनाएंगे. तुम तो बस आराम से सोफे पर बैठ कर टी.वी. देखो !और हाँ !
किचन में बिलकुल मत आना .मुदा हमर ध्यान त भंसेघर दिस छल. नहि जानि छौंडा
की करैत हैत?कहियो चाहो त नहि बनब देलियैक .कही नून हाथे चिन्नी ने छू देने होए.
कहीं झरकिये ने जाए, अंततः एक घंटा क उपरांत ,प्लेट परसि क अनलक. धामे पसीने तर ,कहलक लो  फ्रेंच टोस्ट खाओ और खा के बताओ कैसा बना है? चाय भी बन गयी है ,अभी लाते हैं.हम धडफड़ाइत भनसाघर दिस गेलहुं.चूल्हा पर एक दिस अमनिया तौब 
पर अंडा बनौने छल,आ दोसर चूल्हा पर चाह बरकैत छल हम माथ पीट लेलाहूँ .अंडा के बगल में चिन्नी क डब्बा राखाल छल ,अवश्ये छुयैल हेते ओ पाछां सं आबि क हमरा बाहिं सं पकड़ी क दोबारा पुछलक बताओ तो कैसा बना है .हम कहलियैक ,बेटा आब हमरा भरोस भ गेल तोरा जीवन में भोजनक कष्ट कहियो नहि हेतउ  !.  .


रविवार, 25 अगस्त 2013

अनभिज्ञ मैथिल युवा वर्ग !


रवि दिन अरुण बाबू ओहिठाम ,गेल छलहुं .ओहो दुनू गोटे अपने इलाकाक छथि.अर्थात दरभंगा-मधुबन्नी .बहुत दिन बाद भेंट भेल छल, तैं गपक सिलसिला थोड़े विस्तार सं चलल .थोड़े काल  बाद ओही गोष्ठी में अन्नू जी सेहो शामिल भ गेली हुनकर पतिदेव चौधरी जी ताहि दिन शहर में नहि छलखिन ,हुनकर कमी हम सब अनुभव केलहुं .हम सब प्रायः ओही वर्ग सं अबैत छी जे अपना दुनुगोटे त आपस में मैथली में बजैत छी मुदा जखन बच्चा सब सं गप करैत छी त हिंदी पर उतरि आबैत छी !हमरा आश्चर्य होइत अछि ,आखिर ई प्रवृति पनपल कोना ?प्रायः हर शहरी मैथिल यैह करैत अछि हं दरभंगा-मधुबनी इत्यादि मिथिलांचल सं सटल इलाका क् युवा अवश्ये मैथली बजैत होथि मुदा आन ठाम त रेवाजे  यैह छैक !बच्चा सभके आचार –विचार ,संस्कार देनहार त हमही सब छी चूक त हमरे सब सं भेल ! जे बच्चा एक टा  विदेशी भाषा के तेहन फर्राटा सं बजैत अछि जे की अंगरेजवा सब बाजत! तखन अप्पन भाषा कियैक नहि ?
              ओहि गोष्ठी में एकटा इहो प्रश्न उठलई जे हम मैथिल सब अपना आप के बड काबिल आ विलक्षण प्रतिभावान मानैत छी .की आनो लोग ई बुझैत अछि ? की अपने मुंह मियां मिठू के गईत त नहि अछि?हमरा सभक संतानों के कोनों मैथिल विद्वान के  जानकारी छनि की नहि ? अहि गप पर अरुण बाबू क् कनिया अप्पन बेटी के सोर पाडलखिन ,निक्की सं कोनों मैथिल साहित्यकारक् नाम पूछल गेल ,ओ चट द विद्यापति जी क् नाम लेली .दोसरे नाम पर बेचारी आकाश ताकय लगली .ताहि पर हमरा एकटा प्रसंग मोन पडल जे एक बेर दिल्ली में हमर बेटी सं नौकरी क् इंटरव्यू क् दौरान मातृभाषा  मैथली कहला पर हुनका जखन कोनों साहित्यकारक नाम पूछल गेलनि त ओ विद्यापतिक नामक बाद किछु नहि फुरेलई त अपन नानाजिक नाम कहि देलथि .हुनकर इंटरव्यू में चयन भ गेलनि [.अहि सं ई त साबित भइये गेलई जे मैथिलक प्रतिभा  विलक्षण होइत अछि !] मुदा असल समस्या त यैह छैक जे ,आम मैथिल के सेहो ,मैथली क कोनों साहित्यकार वा ख्यात व्यक्तिक जानकारी नहि छैक .ओ सब विद्यापति के चीनहियै कियैक त ओ हुनकर कोर्स में छलनि .अन्नू जी ,के कहब छनि जे चूँकि हम सब अपन भाषा ,अपन साहित्यकार ,अपन संस्कृति के ओही तरहे प्रचार नहि केलियैक तैं आम मैथिल अनभिज्ञ अछि.बात सही लागल एखन टेलीविजन पर  कखनो गुजरात आ कखनो केरल के बारे में जे प्रचार देखबैत छैक, अपन मिथिलांचल की कोनों तरहे कम छैक ? अपन सभक लिखिया क प्रचार भेल त देखियौ ,मधुबनी पेंटिंग देश के कहै विदेश तक में झंडा गाड़ी रहल अछि !
         आवश्यकता अछि हम सब एहन प्रयास करी जे आम मैथिले नहि ,आनो लोक हमरा सभक समृद्ध संस्कृति ,साहित्य ,साहित्यकार  के चिह्न्हय.जय मैथिल ,जय मिथिला !

रविवार, 14 जुलाई 2013

नव पीढ़ी


प्रचंड गरमिक समय ,बच्चा सब गर्मी छुट्टी बितयबाक लेल आयल अछि. ओना  ,अनदीना त हमही दुनु गोटे रहैत छि .हमरा सबहक नियमित दिनचर्या ,संयमित भोजन आ बहुत संछिप्त दायरा रखने छी.जखन सं बच्चा सब पढ़ लिखय लेल बाहर रहय लागल ,हम सब जेना वीतरागी भय गेल छि. ने खेबाक विन्यास ,ने कत्तहु जेबाक उत्साह.पाबनियो तिहार मनेबा क उमंग नहि होइत अछि.शुरू शुरू में मारे चीज वस्तु सब बना बना क पठबैत छलिये .बाद में ओ सब मना करय लागल. आब ओ सब उम्हरके जीवनक अभ्यस्त भय गेल अछि घरक बनायल चीजक आकर्षण आब ओतेक नहि होइत छैक.ई बात हमरा तखन बुझैल जखन तीन चारि दिन रहला के बादे कहलक
जे, मम्मी हमलोग रोज रोज एक ही तरह का खाना खाते खाते बोर हो गए हैं .आज क्यों न कुछ नया बनाया जाए? ताहि पर हम कहलिये ,बौआ रे ,हमरा त ओ  रंग बिरंगक बिदेसी चीज बनब त नहि अबैत अछि ,ऐना करय, बाहरे
 कत्तहु कियैक ने खा लैत छहक ?ओ कहलक ,तुम चिंता क्यों करती हो मम्मी ,आज नास्ता हम बनाएंगे. तुम तो बस आराम से सोफे पर बैठ कर टी.वी. देखो !और हाँ !
किचन में बिलकुल मत आना .मुदा हमर ध्यान त भंसेघर दिस छल. नहि जानि छौंडा
की करैत हैत?कहियो चाहो त नहि बनब देलियैक .कही नून हाथे चिन्नी ने छू देने होए.
कहीं झरकिये ने जाए, अंततः एक घंटा क उपरांत ,प्लेट परसि क अनलक. धामे पसीने तर ,कहलक लो  फ्रेंच टोस्ट खाओ और खा के बताओ कैसा बना है? चाय भी बन गयी है ,अभी लाते हैं.हम धडफड़ाइत भनसाघर दिस गेलहुं.चूल्हा पर एक दिस अमनिया तौब 
पर अंडा बनौने छल,आ दोसर चूल्हा पर चाह बरकैत छल हम माथ पीट लेलाहूँ .अंडा के बगल में चिन्नी क डब्बा राखाल छल ,अवश्ये छुयैल हेते.तखने ओ पाछां सं आबि क हमरा बाहिं सं पकड़ी क दोबारा पुछलक बताओ तो कैसा बना है .हम कहलियैक ,बेटा आब हमरा भरोस भ गेल तोरा जीवन में भोजनक कष्ट कहियो नहि हेतहू .

मंगलवार, 4 जून 2013

एखन सुति  क  उठले छलहुं  की अँगना  सं जोर -जोर सं  ककरो बाजय  के आवाज  सुनलिये .ओतय गेला पर ,देखलिये ,बडकी बहिन खूब तमसैल छलखिन .पुछलियनि ,की बात ?कोन    कारने अतेक  तम्सैल छथिन ?ओ ,ओहिना त्मसैत कह  लाग्ल्खिन , मै  गे मै ,अहि गाम  में  डनियाही  मउगी  के कोनो  कमी नहि  छैक .सब  हमरा सब सं जरय  जाई  छैक .से हम कोना बुझलिये  त ! किछु दिन पहिने ,सुधिया  के बोखार  धेल्कै ,त ,सुधिया  माय  हमरा सं ,बोखार  नपना  (थर्मामीटर ) मांगि  क लय  गेल छल .दितीये  ने कोना ?आखिर लोको त  बुझौक  जे हमरा सब लग कोन  सब चीज  रहैत  छैक .आहां  सब केहन -केहन  चीज वस्तु  आनि  क  हमरा दैत  छियै .मुदा  ओइ मउगी  के  कारनामा देखियौ  .भरले बोखार  थर्मामीटर  हमरा  घुरौलक  अछि ! जे  की  हिनको  सब के वैह  बिमारी  भ जाई . हम हुनका  हाथ सं  थर्मामीटर लय  क कौल  लग  जा  क  जोर सं  थर्मामीटर  के झाडी  देलियैक  आ कहलियानी  हे यै  ,हम एकरा  में  भरल  सब  टा  बोखार  नाली  में  क  बहा  देलियनि  आब चिंताक  कोनो  बात नहि .तथापि  ओ कनी  काल  तक बड़बडैत  रहल्खिन .

शुक्रवार, 1 मार्च 2013

दाई रुसल छथि !

दाई रुसल छथि ! कियै रुसल छथि ?लोक कियै रुसै छैक ?कियो मनाबए तैं ने ? आई दस दिन सं ऒ रुसल छथि ,कियो ने हुनकर मनेन्हार ! असल में अहि बेर फेर हुनका बूते मोबाईल हेरा गेलनि . एक बरख पहिने सेहो हुनकर मोबाईल दिल्ली में चोरी भ गेल छलनि ,लेकिन ओहि बेर लोक हिनका कोनो दोष नहीं द क दिल्लिये वासी के गरियेलखिन .लोक सब हिनके दिलासा देल्क्नि जे जाय दियौ ,पुरने मोबाईल छलै . मुदा अहि बेर त मामला दोसर छल ,मोबाईल मंहग ,आ नब छल ! कखन हेरेलनि ओ बुझबो नहीं केलखिन जे तकलो जैतै .हिनका बड़ बात सुनय पडलनी .कहल गेलनि ,अहाँ के लापरवाही के कारण ओ वस्तु हरायल .इत्यादि .दाई अपन सफाई में कहबो केलखिन जे ,ई नहीं बुझु जे हमरा अफ़सोस नहि अछि ,मुदा कोन बाटे ओ ससरि गेलै से ठिक्के हम नहि बुझि सकलियैक . जखन लोक हिनकर कोनो बात के मोजर नहि देलकनी त ओ तमसा क कहलखिन जे आब हम अपना लग मोबाईल रखबे नहीं करब ! उम्मीद छलनि जे ,बाद में लोक सब देब्बे करत कियैक त हुनका लग मोबाईल नहीं रहने अपने दिक्कत हेतनि .मुदा ओ निराश chhathi.

गुरुवार, 28 फ़रवरी 2013

abhgli

हम ओकरा पहिल बेर एक्क्युप्रेसर सेंटर में देखलियैक .दस -एगारह वर्षक उमरी हेतैक .ओ लड़की क चेहरा पर हरदम मुस्कान रहिते छलैक .हं जखन कियो ओकरा दिस ध्यान सं ताकैत छलै त ओ सतर्क भ मुस्कुरेनाई छोडि क गर्दन लिबा लेईत छल .ककरो सं ओकरा मतलब नहि छलैक, मुदा डाक्टर साहेब के प्रति ओकर लगाव सब गोटे बुझैत छलीयेक .ओ कखनहु हुनकर मफलर झिक लएत छल या हुनकर ओंजर उठा क अप्पन हाथ क ध रखैत छल .तखन ओ अप्पन माय दिस तकैत छल ,ओम्हर सं माय गुरैर क ओकरा दिस तकैत छलै त ओ ठामाही समान राखि दैत छल .ओकर माय के पहिरब -ओड्हब सं स्पष्ट छल की ओ धनाढ्य घरक लोग छैक .आस-पास के लोग सं निर्लिप्त ओ बेसी काल अप्पन मोबाईल में व्यस्त रहैत छली .हं कखनो काल कहि उठैत छल, डाक्टर साहेब इसे जल्दी से पॉइंट लगा दीजिये इसकी मिस घर आ के लौट जाएगी .संयोग सं एक बेर हम्मर बारी के बाद ओकरे नम्बर छलैक चूँकि हमरा कोनो हड़बड़ी नहि छल तैं हम ओकरे अगुआ देलियैक .हमर अहि योगदान सं ओ महिला प्रसन्न भेलि ,आ ओ ओहि कन्या क विषय में कहलक जे ,ओकरा तीन टा बेटिय छैक .इ सब सं छोटकी छल . दू बेटी के बाद ,जखन ओ फेर सं गर्भ धारण केलि त आई कालक रेवाज क मोताबिक ओ जाँच करोली ,जहि में कन्या भ्रूण क रिपोर्ट एलैक .से ओकरा मंजूर नही छलैक तैं ओ दवाई द्वारा गर्भपातक प्रयास केलक जे सफल नहि भेलैक .तखन ओ डाक्टर के गर्भपातक इच्छा कहलकै मुदा आब ओ संभव नहि छलै .ताहि सं ओक्कर जानक खतरा छलैक .तखन ओक्कर सासू के अप्पन बेटी मोन पड़ लई ओ विवाहक दस वर्षक बादो निःसंतान छल .तखन विचारल गेल की कियैक ने इ कन्या हुनके दय देल जाय .अस्तु जनम्तहि ओ कन्या अप्पन माय सं बिछड़ी गेल! नवजात चूँकि सुन्दर छल तैं आरम्भ में ओकरा दुलारल गेलै ,लेकिन किछुए दिन बाद दुटा एहन घटना भेलैक जे ओकर जीवन नर्क बनी गेलै .ओकर पोस माता के बेटा भय गेलैक आ ओ कन्याक हाव -भाव सं लोग के भुझा गेलैक जे लड़की क क्रिया -कलाप स्वभाविक नहीं छैक .दवाइक दुस्प्रभाव सं ओक्कर दिमाग के पूर्ण विकास नहीं भय सकलै जाही कारने ओ दस वरसक रहितो ,क्रिया -कलाप चरि बरखक नेंना सन करैत छल . संयोग सं किछु वर्षक बाद ओहि कन्याक माय अप्पन ननदि ओहिठाम गेली ,माइक नजर बेटी पर होइत कदाचार के भंपि गेल .ओ ननदि सं अप्पन बेटी के लौटाबय क गप्प कयली ,ननदि त यैह चहिते छल ओ एकरा वास्ते तुरत तैयार भय गेल .ओ पुनः अप्पन माय -बाप लग आबि गेल . मुदा कहई ने छई ,कपार संगहि जेतों .सैह ओकरा संगे भेलई .माय हक़ सं बेटी के आनि त लेलकई मुदा ओ स्नेह नहि द सकलै .लोकक या अधिकतर महिलाक ई स्वभाव होइत छैक जे ,हम अप्पन नेन्ना के मारी त मारी लोक नहि किछु करेअ . ओहि बालिकाक जीवन गाथा सुनि क मोन व्यथित भ गेल .ओकर माय डाक्टर के कह लग्लै ,आपसे इतने दिन से ईलाज करवा रहे हैं कोई फायदा नजर नहीं आ रहा है ,इसे तो रंग की भी पहचान नहीं है . डाक्टर तुरत्ते एक गोट लाल रंगक वस्तु ओकरा देखा क पुछल्खिन ,बेटा बोलो तो ये किस रंग का है ?बालिका तुरंते जवाब देलकै लाल ! माय चकिते रहि गेलैक ,लेकिन एक शब्द प्रोत्साहन के नहि बाजल भेलनि .अर्थात सब के बुझा गेलै जे ओ महिलाक लग अप्पन एहन संतानक लेल कोनों समय नहि छैक .स्पस्टे कहली जे हमरा में ओतेक धैर्य नहि अछि जे अहि पागल संग हम समय बर्बाद करब .एक टा टीचर राखि देने छियैक वैह शायद सिखौने हेते .आ जौं अहि डाक्टर बुते ठीक नहि भेलनि त हम एक्रर इलाज वेल्लोर में सेहो करेबाक विचार अछि .ओक्कर बोली में अहंकार छलै .हम अप्पन मोन में यैह सोचल्हूँ ,जे ओ कन्या के हक़ छैक से आहां नहि द सकलियै त आहां कतबो पइसा कियेअ ने खर्च करब, ओ व्यर्थे होयt.