वामा -विचार ,अर्थात मौगियाही गप्प ! पुरुख सब दलान पर मौगियाही गप्प कहि क बहुत बात के भले ही मजाक में उड़ा देथि लेकिन मौगियाही गप्प होइत छैक बड़ रसगर !
अहि बेर जे छईठ में गाम गेल छलहूँ त सासु हमरा आन बेर सं अधिक अमोट देलखिन .आन बेर एक्कही धडिका भेटैत छल ,अहि बेर त दू टा भेटल ! पुछलियनी ...माय यै ,अहि बेर आमो त तेहन कोनो नहिये फरल छलनि ,तखन हमरा अतेक रास अमोट कोना दईत छथिन ? ओ कहलखिन आहां चुपचाप राखि
लिय ने आहां के धिया -पुता के अमोट बड़ नीक लगैत छैक से हमरा बुझल अछि . ओ सब खूब प्रेम सं खायत . ई लोक सब आब बड़का लोक भय जाई गेल अछि , एहन सब चीज ई सब नहि खाई जैत .
अपने चारि भाय छथिन . तीन भाय शहर में नौकरिहारा छी .एक गोटा गामही
में रहि क खेती -बाड़ी क काज सम्हारैत छथिन . सासु अधिकतर गामे में रहैत छथिन कनिया सं बेसी काल हुनकर टोना -मेनी होइते रहैत छानि .
हम एकांत में जा क कनिया सं पुछलियनी . ऐं यै अहि बेर एतेक अमोटक सौगात हमरे कियैक ? आहां सब लै किछु बांचल की नहि ? सुनतहि त जेना हुनका लेस देलकनी ओ मुह चमका क बजली , धुर जाउथ , एहन अमोट के खाइया सड्लाहा आम के कारी
खोर्नाट अम्मट ,ओहि पर भरि दिन माछी भिनकैत रहैत छैक .से अलग . हमर त कोनो बच्चा ओहन
अमोट के छूबो नहि करतनि .कहीं ओकरा खेला सं मोने ने खराब भय जाई .....आ कि दन्न सं हमर सासु सामना में आबि क गरजय लग्ल्खिन अएँ यै रामपुर वाली ,आहां सत्ते कहू त आम सड़ल छल?
तखन ओहि दिन आहां मन्ग्ल्हू कियैक ? बुझ्लियेइ बडकी कनिया ,कोन नतीजा सं ई अमोट हम बनौलहूँ से हमही बुझैत छी ,सबटा आम के धोनाई ,कुटनाई ,गारा बनेनाई , छन्नाई त एकसर हाथे करबे करैत छी , लेकिन एक दिन अचानक में जे पानि -बिहाड़ी आबि गलैक त हम शोर पाड़ैत -पाड़ैत रहि गेलहुँ लेकिन टी .भी .वाला घर सं ने ई बहरेली आ ने हिनकर कोनो संतान . हम कोना ओहन भारी खटिया के घिसिया क ऊपर अनलहूँ से हमही बूझैत छियैक .एखन धरि हमर डांध
दुखैत अछि . तखन जे हमरा सं अमोट मंगती त हम बजबो नहि करू ? ठीके त कहलियैक जखन सुलवाई होई छौक त बौआ हमरे अमोट काज दैत छौक ,आ फलाहार काल में की कोनो फौल भेट्बो
करैत छौक तखन त यैह अमोट फुला -फुला क खाई छहक .ई सब सुनबा में दाईजनि के बड खराब लगैत छनि ....../कनिया ,आहां ई अमोट निश्चिंत भ क लय जाऊ . तखन ओ सप्पथ खा क कहलखिन जे ई अमोट ओ मच्हड़ दानी सं झंपि क सुखेने छतिन .