मंगलवार, 21 अगस्त 2012

maugiyahi khissa.

वामा -विचार ,अर्थात  मौगियाही गप्प ! पुरुख सब दलान पर मौगियाही गप्प कहि  क बहुत बात  के भले ही मजाक में उड़ा देथि  लेकिन मौगियाही गप्प होइत छैक बड़ रसगर !

                       अहि बेर जे छईठ में गाम  गेल छलहूँ  त  सासु हमरा आन बेर सं अधिक अमोट देलखिन .आन बेर एक्कही धडिका  भेटैत  छल ,अहि बेर त दू  टा भेटल ! पुछलियनी ...माय यै ,अहि बेर आमो त तेहन कोनो नहिये फरल छलनि ,तखन हमरा अतेक रास अमोट कोना दईत छथिन ? ओ  कहलखिन  आहां चुपचाप राखि    
लिय  ने आहां  के धिया -पुता  के अमोट  बड़  नीक लगैत  छैक   से हमरा  बुझल  अछि . ओ  सब  खूब  प्रेम सं खायत . ई  लोक  सब आब  बड़का  लोक  भय  जाई गेल  अछि , एहन  सब चीज  ई सब नहि  खाई जैत .
                                            अपने चारि भाय  छथिन .  तीन भाय शहर में नौकरिहारा छी  .एक गोटा गामही
में रहि  क  खेती -बाड़ी  क  काज सम्हारैत छथिन . सासु  अधिकतर गामे में  रहैत  छथिन  कनिया  सं  बेसी  काल  हुनकर  टोना -मेनी  होइते  रहैत  छानि .
                                                  हम  एकांत  में जा  क  कनिया  सं  पुछलियनी .  ऐं  यै   अहि  बेर  एतेक  अमोटक  सौगात  हमरे  कियैक ? आहां  सब  लै  किछु  बांचल  की नहि ?   सुनतहि  त  जेना  हुनका  लेस  देलकनी   ओ  मुह  चमका  क  बजली , धुर  जाउथ , एहन  अमोट  के  खाइया   सड्लाहा  आम  के  कारी 
खोर्नाट  अम्मट  ,ओहि  पर  भरि  दिन माछी  भिनकैत  रहैत छैक  .से अलग .    हमर  त  कोनो  बच्चा  ओहन  
अमोट  के छूबो  नहि  करतनि  .कहीं  ओकरा  खेला  सं  मोने  ने  खराब  भय  जाई .....आ   कि  दन्न  सं  हमर सासु   सामना  में आबि  क  गरजय  लग्ल्खिन  अएँ  यै  रामपुर वाली  ,आहां  सत्ते  कहू  त  आम  सड़ल  छल? 
तखन  ओहि  दिन  आहां  मन्ग्ल्हू  कियैक ?    बुझ्लियेइ  बडकी  कनिया  ,कोन  नतीजा  सं  ई  अमोट  हम बनौलहूँ  से  हमही  बुझैत  छी  ,सबटा  आम  के  धोनाई ,कुटनाई  ,गारा बनेनाई , छन्नाई  त  एकसर  हाथे  करबे  करैत  छी , लेकिन  एक  दिन  अचानक  में जे  पानि -बिहाड़ी  आबि  गलैक   त  हम  शोर  पाड़ैत -पाड़ैत  रहि  गेलहुँ   लेकिन  टी .भी .वाला घर  सं  ने  ई  बहरेली  आ  ने  हिनकर  कोनो  संतान  .  हम    कोना  ओहन  भारी  खटिया  के  घिसिया  क  ऊपर  अनलहूँ  से  हमही  बूझैत  छियैक  .एखन धरि  हमर  डांध 
दुखैत  अछि .   तखन जे  हमरा सं  अमोट मंगती  त  हम  बजबो  नहि  करू ?   ठीके  त  कहलियैक    जखन  सुलवाई  होई  छौक  त  बौआ  हमरे  अमोट  काज दैत  छौक  ,आ  फलाहार  काल में  की  कोनो  फौल  भेट्बो 
करैत छौक  तखन  त  यैह अमोट फुला -फुला  क  खाई छहक  .ई सब  सुनबा  में  दाईजनि  के  बड  खराब  लगैत  छनि  ....../कनिया  ,आहां  ई  अमोट  निश्चिंत  भ  क  लय  जाऊ .     तखन  ओ  सप्पथ  खा  क  कहलखिन  जे  ई अमोट  ओ  मच्हड़ दानी  सं  झंपि  क  सुखेने  छतिन .