रविवार, 25 अगस्त 2013

अनभिज्ञ मैथिल युवा वर्ग !


रवि दिन अरुण बाबू ओहिठाम ,गेल छलहुं .ओहो दुनू गोटे अपने इलाकाक छथि.अर्थात दरभंगा-मधुबन्नी .बहुत दिन बाद भेंट भेल छल, तैं गपक सिलसिला थोड़े विस्तार सं चलल .थोड़े काल  बाद ओही गोष्ठी में अन्नू जी सेहो शामिल भ गेली हुनकर पतिदेव चौधरी जी ताहि दिन शहर में नहि छलखिन ,हुनकर कमी हम सब अनुभव केलहुं .हम सब प्रायः ओही वर्ग सं अबैत छी जे अपना दुनुगोटे त आपस में मैथली में बजैत छी मुदा जखन बच्चा सब सं गप करैत छी त हिंदी पर उतरि आबैत छी !हमरा आश्चर्य होइत अछि ,आखिर ई प्रवृति पनपल कोना ?प्रायः हर शहरी मैथिल यैह करैत अछि हं दरभंगा-मधुबनी इत्यादि मिथिलांचल सं सटल इलाका क् युवा अवश्ये मैथली बजैत होथि मुदा आन ठाम त रेवाजे  यैह छैक !बच्चा सभके आचार –विचार ,संस्कार देनहार त हमही सब छी चूक त हमरे सब सं भेल ! जे बच्चा एक टा  विदेशी भाषा के तेहन फर्राटा सं बजैत अछि जे की अंगरेजवा सब बाजत! तखन अप्पन भाषा कियैक नहि ?
              ओहि गोष्ठी में एकटा इहो प्रश्न उठलई जे हम मैथिल सब अपना आप के बड काबिल आ विलक्षण प्रतिभावान मानैत छी .की आनो लोग ई बुझैत अछि ? की अपने मुंह मियां मिठू के गईत त नहि अछि?हमरा सभक संतानों के कोनों मैथिल विद्वान के  जानकारी छनि की नहि ? अहि गप पर अरुण बाबू क् कनिया अप्पन बेटी के सोर पाडलखिन ,निक्की सं कोनों मैथिल साहित्यकारक् नाम पूछल गेल ,ओ चट द विद्यापति जी क् नाम लेली .दोसरे नाम पर बेचारी आकाश ताकय लगली .ताहि पर हमरा एकटा प्रसंग मोन पडल जे एक बेर दिल्ली में हमर बेटी सं नौकरी क् इंटरव्यू क् दौरान मातृभाषा  मैथली कहला पर हुनका जखन कोनों साहित्यकारक नाम पूछल गेलनि त ओ विद्यापतिक नामक बाद किछु नहि फुरेलई त अपन नानाजिक नाम कहि देलथि .हुनकर इंटरव्यू में चयन भ गेलनि [.अहि सं ई त साबित भइये गेलई जे मैथिलक प्रतिभा  विलक्षण होइत अछि !] मुदा असल समस्या त यैह छैक जे ,आम मैथिल के सेहो ,मैथली क कोनों साहित्यकार वा ख्यात व्यक्तिक जानकारी नहि छैक .ओ सब विद्यापति के चीनहियै कियैक त ओ हुनकर कोर्स में छलनि .अन्नू जी ,के कहब छनि जे चूँकि हम सब अपन भाषा ,अपन साहित्यकार ,अपन संस्कृति के ओही तरहे प्रचार नहि केलियैक तैं आम मैथिल अनभिज्ञ अछि.बात सही लागल एखन टेलीविजन पर  कखनो गुजरात आ कखनो केरल के बारे में जे प्रचार देखबैत छैक, अपन मिथिलांचल की कोनों तरहे कम छैक ? अपन सभक लिखिया क प्रचार भेल त देखियौ ,मधुबनी पेंटिंग देश के कहै विदेश तक में झंडा गाड़ी रहल अछि !
         आवश्यकता अछि हम सब एहन प्रयास करी जे आम मैथिले नहि ,आनो लोक हमरा सभक समृद्ध संस्कृति ,साहित्य ,साहित्यकार  के चिह्न्हय.जय मैथिल ,जय मिथिला !