सोमवार, 18 नवंबर 2019

जीवन संध्या क धुरंधर

 यौ,जीवन संध्या क धुरंधर जन,
की  करैत छी ?
समाज बिगड़ल जा रहल अछि ।कोनो समाजक मूल तत्व, समाज सं समाजिकता समाप्त भेल जा रहल अछि। लोग समाज में रहितो एकाकी अछि।ककरो सं  कोनो मतलब नहि । पाबनि तिहारो  में लोग घरे में रहैत अछि ।सब अपन  अपऩ खोल में बंद रहैत अछि।   ,किनको धन क अहंकार, बल क अहंकार, ज्ञान क अहंकार। मुदा जीवन में धन -धान्य के अलावा बहुत किछु छईक।  अपन मोनक द्वार खोलू , आगां होउ, अप्पन खोल सं बहराऊ ने पहिने लोग समाजिक छल ,कारण मरला क बाद चारि गोट कनहा देनहार क उम्मीद करैत छल।मुदा 'मार बाढ़ैन ई अपार्टमेंट, संस्कृति आ एकल परिवार  प्रथा  के' ।आब त पड़ोसी क घर में किछु घटना घटैत छैक‌, ऐम्बुलेंस आबि क डेड बौडी ल क  मॉर्गन में , डाहि दई छई, कियो बुझलक कियो नई बुझलक।

सुधि जन कनेक विचार करई जाउ।
हम समाज स की चाहैत छी?
हमरा  समाज सं की भेटल?
हमरा समाज सं की दिक्कत अछि? अंत में,
 हम समाज के की देलियई ?,‌‌‌‌
 ओना ,हम सड़क के कात में नहि ,जंगल में नहि ,समाजक बीच रहय चाहैत छी। कारण समाज में हम सुरक्षित रहैत छी।समाजक लोग सुख दुःख में संग रहता से उम्मीद करैत छी। समाज, लोग के अनुशासित करैत अछि ,आहां अनर्गल किछु नहि क सकैत छी‌,कियो रोकनहार ,टोकनहार भेटिए जायत ।
जौं कोनो समस्या होईत छल ,पहिने व्यस्तता छल ,आब आहां फुरसत में छी,त समस्या क निदान करू ने ,
आगां धिया पुता के वैह परेशानी नहि होईनि।
महानुभाव आहां स़बगोटा अपन अपन क्षेत्र के धुरंधर रहल छी। अहीं सं  ऐहन उम्मीद कियै, कोनो युवा सं कियैक ने ?कारण आजुक युवा अपन जीविकोपार्जन मे हरान अछि।ने ओ समय पर खाई यै ने सुतैया,ओकरा सं कोनो अतिरिक्त काजक उम्मीद नहिए करी।आहां लोकनि कोनो युवा सं अधिक उर्जावान छी, रिटायरमेंट के बाद फुर्सत में छी।'ई लुत्ती लगौना मोबाइल ,ने अपने चैन सं रहत न ककरो रहय देत । त्यागू अहि जहरबंद  के ,अपन उर्जा, ज्ञान, अनुभव के सार्थक दिशा देलजाउ। समाज सदैव आहां के ऋणी रहत।

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